माता धूमावती

हम आपके लिए सप्तम महा विद्या भगवती धूमावती की कहानी लेकर आए हैं। आइऐं जानते हैं कि कितनी चमत्कारी देवी हैं। माता धूमावती।

पुराणों के अनुसार एक बार माॅ पार्वती को बहुत तेज भूख लगी थी किन्तु कैलाश पर उस समय कुछ न रहने के कारण वे अपनी क्षुधा शांत करने के लिए भगवान शंकर के पास गई और उनसे भोजन की माॅग करती हैं, किन्तु उस समय भोलेनाथ अपनी समाधि में लीन होते हैं। माॅ पार्वती के बार-बार निवेदन करने पर भी भोलेनाथ अपनी समाधि से नहीं उठते और वे ध्यानमुद्रा में ही मग्न रहते हैं। माॅ पार्वती की भूख और तेज हो जाती है और वे भूख से व्याकुल हो उठती हैं, परन्तु जब माॅ पार्वती को खाने की कोई वस्तु नहीं मिलती तो वह अपनी श्वास सींचकर भगवान शंकर को निगल जाती हैं। भगवान शिव के कंठ में विष होने के कारण माॅ के शरीर से धुआं निकलने लगता है। उनका स्वरूप श्रृंगार विहीन तथा विकृत हो जाता है तथा माॅ पार्वती की भूख शांत होती है। तत्पश्चात् भगवान शिव माया के द्वारा माॅ पार्वती के शरीर से बाहर आते हैं और पार्वती के धूमसे व्याप्त स्वरूप को देखकर कहते हैं कि अबसे आप इस वेश में भी पॅूजी जायेंगी।

इसी कारणवश माॅ जगदम्बा पार्वती का नाम धूमावती पड़ा। ग्वालियर चम्बल संभाग के दतिया जिले में शक्तिपीठ माॅ पीताम्बरा परिसर में माता धूमावती का मंदिर है। विश्व में यह इकलौता मंदिर है तथा यह देवी विधवा के स्वरूप में पूॅजी जाती है। माता धूमावती का रूप अत्यन्त भयंकर है। इन्होंने ऐसा रूप शत्रुओं के संहार के लिए ही धारण किया है।

!!भगवत्यै धूमावत्यै नमः!!

माँ धूमावती 2100 पाठ

माँ धूमावती का यह रूप माँ के विपरीत गुणों को प्रदर्शित करता हैं। इसलिए इन्हें अलक्ष्मी या ज्येष्ठा भी बुलाया जाता हैं। देवी धूमावती एक तरह से माँ देवी के नकारात्मक रूप का साक्षात् प्रदर्शन हैं किंतु अपने इस रूप से माँ अपने भक्तों के कई संकटों को दूर करती हैं।

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माँ धूमावती 5100 पाठ

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माँ धूमावती सवा लाख जाप

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राजस यज्ञ सात्विक होता है , जिसे समस्त लोग कर सकते हैं , तामस यज्ञ सात्विक नहीं होता है तथा उसमें ड़लने वाली आहुति भी सात्विक नहीं होती हैं , तथा तानस यज्ञ जिसे तांत्रिक क्रिया से किया जाता है , इस यज्ञ में भी सात्विक आहुति नहीं ड़लती ,

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