आज हम आपके लिए अंतिम तथा दसवी महाविद्या भगवती कमला देवी की कथा को लेकर आए हैं। अतः आप प्रसन्न चित्त मन श्रवण करें।
माता कमला श्री कुल की देवी तथा स्वयं महालक्ष्मी हैं। देवता एवं दैत्य, दानव, मनुष्य, अखिल ब्रह्माण्ड जिसके द्वारा चलता है। संसार की जितनी भी सम्पदाऐं हैं। वह इन्हीं के आशीर्वाद के द्वारा प्राप्त होती हैं इसलिए इन्हें श्री कहा जाता है और श्री की प्राप्ति के लिए सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड लालायित रहता है। इन्हें सौभाग्य लक्ष्मी भी कहते हैं तथा अनेक नामों से जानी जाती हैं। यदि इनकी साधना कोई मनुष्य तथा देवता करता है तो वह समस्त समृद्धि, यश, वैभव को प्राप्त करता है तथा माता की कृपा उस पर सदैव बनी रहती है। श्रीमद् भागवत के अष्ट्म स्कन्ध के अष्ट्म अध्याय में माॅ कमला के उद्भव के प्रमाण है। कथा में कहा गया है कि देवताओं तथा असुरों ने जब अमृत प्राप्ति के लिए समुद्र मंथन किया तब माॅ जगदम्बा कमला श्री का उदभव हुआ, तथा उन्होंने भगवान नारायण को बट के रूप में वर्ण किया तथा यह मुख्य और पाॅच नामों से प्रसिद्ध हुई, समुद्रवासनी, नारायण बल्लभा, पद्मासना, महालक्ष्मी तथा य´यला, ये पाॅच नामों से देवताओं ने माता की स्तृति की।