रामायण पाठ

मूल: रामचन्द्रजी की कथा हाथ की सुंदर ताली है, जो संदेह रूपी पक्षियों को उड़ा देती है। फिर रामकथा कलियुग रूपी वृक्ष को काटने के लिए कुल्हाड़ी है। हे गिरिराजकुमारी! तुम इसे आदरपूर्वक सुनो॥

Original: The story of Ramchandraji is a beautiful clap of hands, which flies birds of doubt. Then Ramkatha is the ax to cut down the tree of Kali Yuga. Hey Girirajkumari! Listen to it with respect

पाठ के लाभ: कलि काल में केवल श्री हरि विष्णु की कथाओ को कह सुन कर जीव भव सागर पार हो जाता है उन कथाओ में एक दिव्य कथा है श्री राम कथा कलि काल में योग ज्ञान ध्यान की परिभाषा सिमित है पर श्री राम गुण गान सभी से अधिक है और प्रत्येक मानव की समीप है यह एक अवश्य ही परम सहज व् सुखद अनुभव है जो जीव को निजस्वरूप प्रदान करता है।

Benefits of the lesson: In the Kali period, only by listening to the stories of Shri Hari Vishnu, the living soul crosses the ocean, there is a divine story in those stories Shri Ram Katha The definition of yoga knowledge meditation in the Kali period is limited, but Shri Ram virtue song is all Is greater than and every human is near it is an absolute, comfortable and pleasant experience that provides the individual as a result.

पौराणिक मान्यता: सर्वप्रथम श्रीराम की कथा भगवान श्री शंकर ने माता पार्वतीजी को सुनाई थी। उस कथा को एक कौवे ने भी सुन लिया। उसी कौवे का पुनर्जन्म कागभुशुण्डि के रूप में हुआ। काकभुशुण्डि को पूर्व जन्म में भगवान शंकर के मुख से सुनी वह रामकथा पूरी की पूरी याद थी। उन्होंने यह कथा अपने शिष्यों को सुनाई। इस प्रकार रामकथा का प्रचार-प्रसार हुआ। भगवान शंकर के मुख से निकली श्रीराम की यह पवित्र कथा अध्यात्म रामायण के नाम से विख्यात है।

Mythological belief: The story of Shri Ram was first narrated by Lord Shri Shankar to Mother Parvatiji. A story was also heard by a crow. The same crow was reborn as Kagbhusundi. Kakabhusundi heard from Lord Shankar’s face in his previous birth, he had complete memory of Ramkatha Puri. He narrated this story to his disciples. In this way, the Ramakatha was propagated. This sacred story of Shri Ram originated from the mouth of Lord Shankar is known as Adhyatma Ramayana.

जानिये भागवान राम की 49 पीढियों के बारे में:-

1 – ब्रह्माजी से मरीचि हुए,
2 – मरीचि के पुत्र कश्यप हुए,
3 – कश्यप के पुत्र विवस्वान थे,
4 – विवस्वान के वैवस्वत मनु हुए. वैवस्वत मनु के समय जल प्रलय हुआ था
5 – वैवस्वत मनु के दस पुत्रों में से एक का नाम इक्ष्वाकु था, इक्ष्वाकु ने अयोध्या को अपनी राजधानी बनायाऔर इस प्रकार इक्ष्वाकु कुल की स्थापना की।
6 – इक्ष्वाकु के पुत्र कुक्षि हुए,
7 – कुक्षि के पुत्र का नाम विकुक्षि था,
8 – विकुक्षि के पुत्र बाण हुए,
9 – बाण के पुत्र अनरण्य हुए,
10- अनरण्य से पृथु हुए,
11- पृथु से त्रिशंकु का जन्म हुआ,
12- त्रिशंकु के पुत्र धुंधुमार हुए,
13- धुन्धुमार के पुत्र का नाम युवनाश्वथा,
14- युवनाश्व के पुत्र मान्धाता हुए,
15- मान्धाता से सुसन्धि का जन्म हुआ,
16- सुसन्धि के दो पुत्र हुए- ध्रुवसन्धि एवं प्रसेनजित,
17- ध्रुवसन्धि के पुत्र भरत हुए,
18- भरत के पुत्र असित हुए,
19- असित के पुत्र सगर हुए,
20- सगर के पुत्र का नाम असमंज था,
21- असमंज के पुत्र अंशुमान हुए,
22- अंशुमान के पुत्र दिलीप हुए,
23- दिलीप के पुत्र भगीरथ हुए, भागीरथ ने ही गंगा को पृथ्वी पर उतारा था. भागीरथ के पुत्र ककुत्स्थ थे।
24- ककुत्स्थ के पुत्र रघु हुए, रघु के अत्यंत तेजस्वी और पराक्रमी नरेश होने के कारण उनके बाद इस वंश का नाम रघुवंश हो गया, तब से श्रीराम के कुल को रघुकुल भी कहा जाता है।
25- रघु के पुत्र प्रवृद्ध हुए
26- प्रवृद्ध के पुत्र शंखण थे
27- शंखण के पुत्र सुदर्शन हुए,
28- सुदर्शन के पुत्र का नाम अग्निवर्ण था,
29- अग्निवर्ण के पुत्र शीघ्रग हुए,
30- शीघ्रग के पुत्र मरु हुए
31- मरु के पुत्र प्रशुश्रुक थे,
32- प्रशुश्रुक के पुत्र अम्बरीष हुए,
33- अम्बरीष के पुत्र का नाम नहुष था,
34- नहुष के पुत्र ययाति हुए,
35- ययाति के पुत्र नाभाग हुए,
36- नाभाग के पुत्र का नाम अज था,
37- अज के पुत्र दशरथ हुए,
38- दशरथ के चार पुत्र राम, भरत, लक्ष्मण तथा शत्रुघ्न हुए।

इस प्रकार ब्रह्मा की उन्चालिसवी (39) पीढ़ी में श्रीराम का जन्म हुआ।

  • मानस में रामशब्द – 1443 बार आया है
  • मानस मेंसीताशब्द – 147 बार आया है।
  • मानस में जानकी शब्द – 69 बार आया है।
  • मानस में बैदेही शब्द – 51 बार आया है।
  • मानस में बड़भागी शब्द– 58 बार आया है।
  • मानस में कोटि शब्द – 125 बार आया है
  • मानस में एकबार शब्द– 18 बार आया है।
  • मानस में मन्दिर शब्द– 35 बार आया है।
  • मानस में मरम शब्द– 40 बार आया है।
  • लंका में रामजी – 111 दिनरहे।
  • लंका में सीताजी– 435 दिनरहीं।
  • मानस में श्लोक संख्या– 27 है।
  • मानस में चोपाई संख्या– 4608 है।
  • मानस में दोहा संख्या– 1074 है।
  • मानस में सोरठा संख्या– 207 है।
  • मानस में छन्द संख्या– 86 है।
  • सुग्रीव में बल था– 10000 हाथियों का।
  • सीता रानी बनीं– 33 वर्ष की उम्र में।
  • मानस रचना के समय तुलसीदास की उम्र– 77 वर्ष थी।
  • पुष्पक विमान की चाल– 400 मील/घण्टा थी।
  • रामादल व रावण दल का युद्ध– 87 दिन चला।
  • राम रावण युद्ध – 32 दिनचला।
  • सेतु निर्माण– 5 दिन में हुआ।
  • नलनील के पिता– विश्वकर्मा जी हैं।
  • त्रिजटा के पिता – विभीषण हैं।
  • विश्वामित्र राम को ले गए– 10 दिन के लिए।
  • राम ने रावण को सबसे पहले मारा था– 6 वर्ष की उम्र में
  • रावण को जिन्दा किया– सुखेन बेद ने नाभि में अमृत रखकर।