माता छिन्नमस्ता

जैसा कि आपको ज्ञात है कि हमारा संस्थान श्रीवृद्धि आपके लिए प्रति दिन भक्तिमार्ग से जुड़ी हुई वस्तु कथा इत्यादि नवीन व मांगलिक जो व्यक्ति के जीवन में एक नवीन उत्तेजना का प्रादुर्भाव करती है। ऐसी ही हम एक नवीन माता छिन्नमस्ता की कथा को लेकर आपके समक्ष प्रस्तुत हुए है।

माता भगवती छिन्नमस्ता का श्रीधाम ‘झारखण्ड’ ‘रांची’ से 80 किलोमीटर दूर ‘रजथा रामगढ़’ में स्थित है। माॅ भगवती की जन्म तिथि वैशाख शुक्ल चतुर्दशी को मनायी जाती है। माॅ छिन्नमस्ता अन्यत्र नामों से भी प्रसिद्ध है। जैसे-

  • 1. छिन्नमुण्डा
  • 2. छिन्नमुण्डधरा
  • 3. आरक्ता
  • 4. रक्तनयना
  • 5. परक्तवान परायिणा
  • 6. बज्रवराही
  • 7. प्रयन्ड चण्डिका।

यह देवी त्रिगुणमयी हैं। सात्विक, राजसिक तथा तामसिक माता भगवती छिन्नमस्ता के जो भैरव हैं। वह ‘क्रोध भैरव’ है।

यह माता जगदम्बा साधक को अतिशीघ्र सिद्धि प्रदान करती हैं तथा सर्वस्व विजयी कराकर साधक को सदैव स्थिर रहने वाली लक्ष्मी एवं सम्पत्ती प्रदान करती हैं। यह जगदम्बा दश महाविद्याओं में से प´यम महाविद्या हैं।।

माॅ छिन्नमस्ता की कथा

पौराणिक कथाओं तथा नारद पंचराप्त के अनुसार एक समय जगदम्बा माता पार्वती अपनी दो सहचरियों के साथ मंदाकिनी नदी में स्नान करने के लिए आयीं थीं। उसी समय स्नान करते वक्त माता पार्वती काम से उत्तेजित हो उठीं। काम की उत्तेजना के कारण माता भवानी का तन (शरीर) काला पड़ गया। उसी समय उनकी सहचरी ‘डाकिनी’ तथा ‘शाकिनी’ क्षुधा को प्राप्त हुई। उन्होंने माता रानी से भोजन के लिए प्रार्थना की परन्तु माता ने उन्हें मना कर दिया तथा कैलास न जाकर माता से ही क्रोध करने लगीं और कहने लगीं कि, हे माता तुम समस्त जगत का भरण-पोषण करती हो किन्तु इस समय आप हमें भोजन न देकर हमारा तिरस्कार तथा अपमान कर रहीं हैं। इस तरह अपनी सहचरियों के मुख से इस प्रकार के शब्द सुनकर माता ने अपने खड्ग से अपनी तलवार से अपनी गर्दन को काट दिया। तदुपरान्त माता के धड़ (शरीर) से रक्त की तीन धाराऐं उत्पन्न हुईं। एक धारा स्वयं माता भगवती के श्रीमुख में गई तथा दो धाराऐं ‘डाकिनी’ तथा ‘शाकिनी’ के श्रीमुख में प्रवेश किया तथा काम की हृदय में उत्तेजना होने के कारण माता ने पत्नी ‘रती’ सहित कामदेव को बंदी बना लिया तथा उन दोनों के शरीर पर जगदम्बा आरूण हो गयीं।

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“ मैंने भी यही महसूस किया है कि यह मां छिन्नमस्तिका महा अनुष्ठान पूजा कितनी अच्छी और प्रभावी है। श्री वृद्धि एस्ट्रो अन्य पुरोहितों की तुलना में बहुत कम शुल्क लेते हैं। और जब प्रभाव समान हों, तो अतिरिक्त पैसा खर्च करने का कोई मतलब नहीं है।”

Avnish Chaturvedi
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“छिन्नमस्ता का मतलब वैसे तो आप सब जानते होंगे। लेकिन मेरे लिए ये मतलब सुख-समृद्धि का प्रतीक साबित हो रहा है,तब से जब से मैनें ये अनुष्ठान कराया। थैक्स फॉर यू सर जी”

Ram Swaroop
Indor