प्रिय बन्धुवर जैसा कि आपको ज्ञात है कि श्रीवृद्धि ज्योतिष आपके समक्ष नित्य प्रतिदिन दशमहाविद्याओं की कथा लेकर के आता है। वैसे ही हम आज आपके समक्ष सर्व प्रथम महाविद्या भगवती महाकाली की कथा का विमोचन करते हैं।
भगवती महाकाली दश महाविद्याओं में से सर्वप्रथम विद्या मानी गयी हैं। यह माता जगदम्बा सर्ब मनोरथ को पूर्ण करने वाली हैं। यह जितनी सौम्य हैं, उससे कहीं अधिक उग्र भी हैं। यह माता भगवती समय से पूर्व ही मनोवांच्छित फल की प्राप्ति करवाती हैं। यदि इनके पूजन में कोई त्रुटिपूर्ण कार्य होता है तो यह माता जगदम्बा दरिद्रता को प्राप्त करती हैं।
यह माता काली तीन नेत्र तथा अष्ट भुजा से शुसोभित हैं तथा इनका परमधाम पश्चिम बंगाल कलकत्ता में है।
इन देवी की पूजा त्रिगुण मयी है। राजसी, तामसी तथा तानसीं सात्विक, राजसिक, तामसिक, इस प्रकार यह देवी त्रिगुणरूपमयी पूजा को स्वीकार करती हैं।