आज हम आपके लिए नौमी (नवम्) महाविद्या माता मातंगी की कथा को लेकर आए हैं। अतः आापसे आशा है कि भक्तियुक्त चित्त से कथा का श्रवण करेंगे-
मातंगी देवी प्रकृति की देवी हैं, कला संगीत की देवी हैं, तंत्र की देवी हैं, वचन की देवी है, यह एकमात्र ऐसी देवी हैं, जिनके लिए व्रत नहीं रखा जाता है। यह केवल मन और वचन से ही तृप्त हो जाती हैं।
भगवान शंकर और पार्वती के भोज्य की शक्ति के रूप में मातंगी देवी का ध्यान किया जाता है। मातंगी देवी को किसी भी प्रकार के इंद्रजाल और जादू को काटने की शक्ति प्रदत्त है। देवी मातंगी का स्वरूप मंगलकारी है। वह विद्या और वााणी की अधिष्ठात्री देवी हैं। पशु, पक्षी, जंगल आदि प्राकृतिक तत्वों उनका वास होता है। वह दस महाविद्याओं में नौवे स्थान पर हैं। मातंगी देवी श्री लक्ष्मी का ही स्वरूप हैं। नवरात्रि में जहाॅ स्थान माॅ सिद्धिदात्री को प्राप्त है वहाॅ गुप्त नवरात्रि की नवमी को मातंगी देवी को अधिष्ठाप्ती देवी माना है। स्वरूप दोनों ही श्री लक्ष्मी के हैं।